उधवा/साहिबगंज । शिक्षा विभाग व सरकार के उदासीनता के कारण स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह ठप है। स्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है,जब स्कूल में बच्चों को शिक्षा ही ना मिले तो बच्चों का भविष्य पर कितना गहरा असर पड़ेगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते है। दरअसल हम बात कर रहे है चांदशहर पंचायत के उत्क्रमित मध्य विद्यालय की, जहां दो शिक्षकों के भरोसे करीब 900 सौ बच्चों का भविष्य अंधकार में है, ऐसे में कैसे पढ़ेंगे छात्र और कैसे आगे बढ़ेगा इंडिया। शिक्षक की कमी से बच्चों की कोर्स पूरी नही हो पा रही है। जिसमें बच्चों के पठन-पाठन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। यहां कई दशकों से शिक्षकों की नियुक्ति नही होने से शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। उक्त विद्यालय में करीब नौ से अधिक बच्चे नामांकित है। बच्चों की इतनी बड़ी संख्या में मात्र दो ही शिक्षक पदस्थापित है। उदय शंकर सिंह प्रभारी प्रधानाध्यापक एवं रफिकुल आलम सहायक शिक्षक है। आप अंदाजा लगा सकते है कि शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा। दो शिक्षकों के भरोसे इतने सारे बच्चों का भविष्य दांव पर है। शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों की कोर्स पुरा करने में बहुत कठिनाई हो रही है। बच्चों का पढ़ाई अधूरा होने पर बच्चे परीक्षा को लेकर काफी चिंतित हो रहे है। दो शिक्षकों के द्वारा स्कूल सही से संचालित नही हो रही है। यह मामला सिर्फ उधवा प्रखंड में संचालित करीब दर्जनों स्कूलों की है। जहां शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह बदहाल स्थिति में है। सरकार व शिक्षा विभाग को इस पर जल्द पहल करने की आवश्यकता है